भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति देखने को मिली है(3D-Printed Military Bunker in Leh) हैदराबाद स्थित डीप-टेक स्टार्टअप Simpliforge Creations ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT-H), हैदराबाद के साथ मिलकर, लेह, लद्दाख में दुनिया का पहला ऑन-साइट 3D-Printed Military तैयार किया है। यह बंकर भारतीय सेना के प्रोजेक्ट “प्रबल” का हिस्सा है, जो ऊंचाई पर स्थित रक्षा बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम है।
Construction of the 3D-Printed Military Bunker in Leh: A Challenging Task

लेह में 11,000 फीट की ऊंचाई पर बनाए गए इस बंकर का निर्माण बेहद कठिन परिस्थितियों में किया गया। यहां ऑक्सीजन का स्तर 40-50% तक कम हो जाता है, जिसे HALO (हाई-ऑल्टिट्यूड, लो-ऑक्सीजन) स्थितियां कहा जाता है। ऐसी परिस्थितियों में, इस बंकर का निर्माण सिर्फ दो हफ्तों में किया गया, जिसमें 3D-प्रिंटर को दूरदराज के इलाके में पहुंचाना भी शामिल था।
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Innovative Design and Technology Used

IIT-H के प्रोफेसर K.V.L. सुब्रमण्यम ने इस परियोजना का नेतृत्व किया और कहा, “यहां ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम था, फिर भी हमने यह बंकर दो हफ्ते में तैयार किया।” इस बंकर का डिजाइन पारंपरिक बंकरों से बिल्कुल अलग है। इसकी सतह पर अनियमित रूप में डिजाइन किया गया है, ताकि गोली की रिफ्लेक्शन कम हो सके, जो कि 3D प्रिंटिंग तकनीक से संभव हुआ है।
Simpliforge Creations’ Achievement and Future Plans

Simpliforge के CEO ध्रुव गांधी ने इसे भारत की निर्माण तकनीक और रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण छलांग बताया। अब, इस सफलता के बाद, Simpliforge विभिन्न प्रकार के बंकरों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो भारतीय सेना के लिए और भी उपयोगी होंगे।
Material Science and Climate Challenges
इस 3D-Printed Military Bunker के निर्माण में सामग्री विज्ञान से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। खासकर, लेह की कठोर जलवायु में टिकाऊ कंक्रीट मिश्रण तैयार करना बड़ा काम था। प्रोफेसर सुब्रमण्यम और उनकी टीम ने इस मिश्रण को तैयार करने के लिए कई परीक्षण किए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बंकर लद्दाख की स्थितियों में प्रभावी रूप से काम करेगा।
Simpliforge and IIT-H’s Collaborative Effort
Simpliforge और IIT-H की जोड़ी ने पहले तेलंगाना में भारत का पहला 3D-प्रिंटेड मंदिर भी बनाया था। अब, इस जोड़ी ने यह साबित कर दिया है कि अगली पीढ़ी की रक्षा संरचनाएं 3D प्रिंट करके, शिपिंग करके और केवल 5-6 दिनों में तैयार की जा सकती हैं, वो भी ऐसे इलाकों में जहां पहुंचना मुश्किल होता है।
Conclusion: A New Era in India’s Defense Technology
Simpliforge Creations और IIT-H का यह प्रयास भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। इस परियोजना ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय सेना अब नई तकनीकों का उपयोग कर रही है, जो देश की रक्षा तैयारियों को और मजबूत बनाएगी।